सपना एक हसीन सा।।
है उसकी आंखों सा नशा नहीं मेहखानों में,
है गूंजती आवाज़ उसकी मेरे कानों में,
जो उसको भूल जाऊ, ऐसी कोई दावा नहीं दुकानों में।
क्या बताएं अपना हाल,
हम तो रोज़ रोज़ मर रहे हैं,
क्या बताएं अपना हाल,
अब तो मेरे अपने मुझसे डर रहे है,
धुन ये इश्क़ की है बजती मेरे कानों में,
और हम भी उनके नाम के कसीदें रोज़ पड़ रहे हैं।
है आता मुझे रोज़ सपना एक ही हसीन सा,...
है गूंजती आवाज़ उसकी मेरे कानों में,
जो उसको भूल जाऊ, ऐसी कोई दावा नहीं दुकानों में।
क्या बताएं अपना हाल,
हम तो रोज़ रोज़ मर रहे हैं,
क्या बताएं अपना हाल,
अब तो मेरे अपने मुझसे डर रहे है,
धुन ये इश्क़ की है बजती मेरे कानों में,
और हम भी उनके नाम के कसीदें रोज़ पड़ रहे हैं।
है आता मुझे रोज़ सपना एक ही हसीन सा,...