...

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Mera dil
तेरे जुल्फो के साये से निकली वो छोटी सी लट जो उस ख़ूबसूरत कानों पर से होकर तेरे गर्दन पर जाती और उसी गर्दन पर जो गहरी काली तिल हैं ना जिसे वो लट अक्सर छू कर उड़ जाया करती है , बस उसी तिल में अटका हैं मेरा दिल।

तेरे उस नूरानी चेहरे पर वो ख़ूबसूरत सी लट जो ठीक बाईं ओर लटकती है कभी - कभी और तेरी मुस्कुराहट को चार चांद लगा देती है और उनसे जो तुम्हारे आंखों में शरारतें दिखती है ना बस उसी शरारती मुस्कुराहट पर अटका है मेरा दिल ।

जब तुम्हे पहली दफा देखा था सलवार पहनें क़यामत लग रही थी उस रात को भी शायद तुम्हारे सौंदर्य से जलन हो रही होगी और जब तुम उस दुपट्टे की मोतियां को अंगूठे में दाबे घुमा रही थी और उनसे आयी दुपट्टे के सिलवटों में अभी भी अटका हैं मेरा दिल ।

हां तुम पर आया है मेरा दिल ।