...

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वो भी है बलात्कार...
बलात्कार तब ही नही होता
जब दरिंदगी से नोचा जाए जिस्म

तब भी ये बलात्कार है
जब प्यार के नाम पर
बना कर हमबिस्तर
छोड़ जाते हैं प्रेमी
माता पिता का नाम लेकर
समाज के बंदिशों का हवाला देकर

तब भी कम नहीं ये पाप
जब रिवाजों के नाम पर
मजबूर करते हैं परिजन
विवाह के लिए मर्जी के खिलाफ

बलात ये तब भी है जब
फुसला कर काम , पैसे के लालच में
उठाते है फायदा कुछ
सफेद पोश लोग औरत का

जब ताकते हैं भूखी निगाहें
जैसे बिना छुए ही उतार रहे हो कपड़े
उन रास्ते चलते सस्ते लोगों का
गुनाह कुछ कम नहीं होता

इस वक्त में गुनाह है लड़की होना
बलात्कार के कई तरीके ढूंढे हैं
लोलूप नजरों ने

© Poeत्रीباز