...

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वीर सेना
कफ़न वो लेके चला था अपने नाम का,
इस धरती मां के रक्षक बनकर,
आशिर्वाद वो लेके अपनी जननी से,
देश के खातिर मर मिटने को वो चला सीना तान कर।

दुश्मनो से घिरा था
पर मन में न था कोई डर
सिने पे गर्म गोली बरसती रही
लेके नाम अपने देश का लड़ता रहा मगर।

सूना पड़ा है...