...

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प्रेम और ईश्वर से बड़े कौन ?
हैरान हो जाइए आप
यह आपका पक्ष है
मैं बोलूंगा कि
अगर आप
प्रेम और भगवान को लेकर
अभिभूत हैं
मगन हैं, दोनों आपके धरा-गगन हैं
तो उजड़ भी सकते हैं चमन

परिश्रम और सुकर्म आगे हैं
प्रेम और भगवान से
सफलता तो तय है दोनों से

सफल इंसान प्रेम का चक्र पूरा करता है
भक्ति, तीर्थ-वीर्थ भी अधूरा कब करता है ?

सुदामा नहीं जाता हृदय बसा कृष्ण के पास
गृहस्थियां सहतीं सुख के लिए पाश, आस

प्रेम और भगवान तो सुकर्म और परिश्रम
गृहस्थ सुदामा दुर्बल, रंक में भी कृष्ण मगन
- विभूति

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