...

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मन का पंछी.....
दिल मेरा एक पंछी है , जिसका उम्र से नाता ना कोई है... कभी उड़ता है ये ऊँचे गगन में, तो कभी ज़मी से लिपटी रही है..!

ना जाने ये उम्र क्या है, मुझे तो हर पल में जिंदगी जीनी है...हँस कर , हँसा कर, लगा कर गले हर लम्हों को, हर उम्र में , मुझे उम्र नहीं तलाशनी है..!

सब तो आगे बढ़ते हैं, बच्चे भी उम्र की सीढ़ी चढ़ते हैं....ख्वाहिशों से भरी इन मौजों की रवानी को,ये उम्र बांध ना पाई है..!

जयश्री ✍🏻