...

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एक मंडी...
नसीबों की एक मंडी मै, घूम रहा था मै लिये एक झोला
तब कुछ शब्द सुनाई दिये
'आओ आ जाओ, देखलो, देखने का कोई पैसा नही, आओ आ जाओ'

मंडी ही तो थी, तो मुड़ गए.
आवाज आ रही थी
एक रंगीन शानदार सपनों की दुकान से.
कांच की संदूक मे रखे थे सपने
कुछ सफेद, कुछ मदहोश, कुछ नशीले, कुछ काले भी थे
पर हर एक बड़े लुभावने थे

सोचा, आया हु, तो खरीद लेते है एक सपना
दुकानदार को मेरा 'budget' बताया,
कहा 'दिखाओ मुझे एक सपना'...