...

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Mingling with Sahir...
तुम्हे भी कोई उलझन रोकती है पेशकदमी से
मुझे भी लोग कहते है..... ये जलवे पराये है...
कितना मुझे उनपर एतबार था
अफसोस बेवफा मिरा यार था....
फिर भी आती रही याद उस की
पुकारा जहाँ.. वहाँ खाली दयार था...
वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना ना हो मुमकीन
उसे इक खुबसुरत मोड देकर.... छोडना अच्छा....
भुल गया था... वो फसाना मै
लुट गया था......