खाली कुर्सियों की आवाजें
खाली कुर्सियां बंद कमरे में सो सी गई है...
बैठने वाले का इंतजार कर खो सी गई है....
पहले हुआ करती थी घर में पीढि़यों की चहल पहल....
अब तो दो कमरों में घर सिमट से गए हैं....
हलचल तो है पर रौनक नहीं है....
सलाह ली जाती थी बुजुर्गों से हर काम के लिए....
पर काम तो होते हैं...
बैठने वाले का इंतजार कर खो सी गई है....
पहले हुआ करती थी घर में पीढि़यों की चहल पहल....
अब तो दो कमरों में घर सिमट से गए हैं....
हलचल तो है पर रौनक नहीं है....
सलाह ली जाती थी बुजुर्गों से हर काम के लिए....
पर काम तो होते हैं...