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!...मैं तेरी आश लगा बैठी...!
काली जुल्फे चेहरा सुंदर, होठ गुलाबी, नैना सागर
जो डूबा सो डूब गया, जो उभरा जान गवा बैठा
लैला लैला मजनू चीखे, वन सहरा और मन में अपने
जैसी चाहे आग लगा लो, आशिक़ तन जला बैठा
झूमो नाचो रंग लगाओ, होली आई सावन भादो
बदरा बरखा सावन बरसे, प्यास में जान गवा बैठा
तप तप बंजर और संग, न सोला उगले न ही धन
प्रेम का रंग तो वो ही जाने, जो रंग में आग लगा बैठा
रिश्ते नाते अपने पराए, दर्द पुराने धोखा खाए
प्रेम जगत का तू ब्राह्मण, उज्जा लात बना बैठा
—–12114
© —-Aun_Ansari
जो डूबा सो डूब गया, जो उभरा जान गवा बैठा
लैला लैला मजनू चीखे, वन सहरा और मन में अपने
जैसी चाहे आग लगा लो, आशिक़ तन जला बैठा
झूमो नाचो रंग लगाओ, होली आई सावन भादो
बदरा बरखा सावन बरसे, प्यास में जान गवा बैठा
तप तप बंजर और संग, न सोला उगले न ही धन
प्रेम का रंग तो वो ही जाने, जो रंग में आग लगा बैठा
रिश्ते नाते अपने पराए, दर्द पुराने धोखा खाए
प्रेम जगत का तू ब्राह्मण, उज्जा लात बना बैठा
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