क्या हौसला छोड़ दूँं मैं नुकसान देखकर
क्यूंँ देने लगे दिलासा जला मकान देखकर
क्या हौसला छोड़ दूँं मैं नुकसान देखकर
ये इश्क़ आग से फिज़ा को भारी पड़ गया
जो दिल रो पड़ा शोलाें की उड़ान देखकर
ज़ाहिर न हो जाए कहीं तेरा रिश्ता मुझसे
तू समझ माज़रा आईने की शान देखकर
खींच ही लाई उसे ये मुहब्बत दरख़्त की
फिर...
क्या हौसला छोड़ दूँं मैं नुकसान देखकर
ये इश्क़ आग से फिज़ा को भारी पड़ गया
जो दिल रो पड़ा शोलाें की उड़ान देखकर
ज़ाहिर न हो जाए कहीं तेरा रिश्ता मुझसे
तू समझ माज़रा आईने की शान देखकर
खींच ही लाई उसे ये मुहब्बत दरख़्त की
फिर...