चाहु तो
चाहु तो तुझ ही लिखती राहु
शाम सवेरे तुझे ही निहारती राहु
सोचू तो तुम्हारी इस मुकुराहट को
मालूम होता दुख पर तब भी मुस्कुराता ही रहता
देखू तो इन आंखों...
शाम सवेरे तुझे ही निहारती राहु
सोचू तो तुम्हारी इस मुकुराहट को
मालूम होता दुख पर तब भी मुस्कुराता ही रहता
देखू तो इन आंखों...