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मात से बढ़कर ईष्ट नहीं
दोहा

मेरी मां से छांव मेरी, मां ममता का धाम।
मात परम की छाप है, न किया उन्हें प्रणाम।।

मां मुर्त मां मोक्ष है, मां को दे सम्मान।
मां से मेरी सांस है, दिया उन्हें अपमान।।

चारों तीर्थ से मोक्ष नहीं, मत कर कोई खास।
मां से बढ़कर ईष्ट नहीं, मां जीवन की आस।।

यत्र नार्यस्तु पुज्यंत, तत्र देवता रमंत।
मां से ये संसार चले, खुश होते भगवंत।।


© जितेन्द्र कुमार "सरकार "