...

6 views

इज़हार -ए-मोहब्बत - एक धोखा
इज़हार -ए-मोहब्बत - एक धोखा

प्यार का पहला ख़त लिखा था
जाने अंजाने में एक अक्श दिखा था
आंखों को धोका देके चला था वो
इज़हार ए मोहब्बत बेवक्त करा था

अनजाना अनजानी थे हम दोनों
जान पहचान की तलब हुई थी
बेजुबान जानवरो से तब मैंने
बहुत कुछ कहने का राज़ सिखा था

दो पलों में उजड़ी ख्वाईशे
मेरे ख़त का जवाब मिला था
दिल टूटने की आह को लेके
ज़वाब में मेने अगला पत्र लिखा था

रूला कर भी वो आया ना मिलने
इंतहा तक हमने इंतज़ार किया था
देख कर उसको दूसरों की बाहों में
प्यार को अपने शर्मसार किया था

चल छोड़ मेरे दिल भूल जा उसको
वो किसी और की अमानत था
मैं खुद ही खुद की गुनहगार हुई थी
इज़हार ए मोहब्बत बेज़ार हुआ था
© firkiwali