हमारी संस्कृति की पहचान - साड़ी
साड़ी केवल एक परिधान ही नहीं होती
वो होती है एक सुन्दर सपना
जिसे छूते वक़्त औरत सोचती है कि
फ़लाँ मौके पर पहनूँगी
और सोचती है .…..
कि जब इसे अपने बदन पर लपेटूंगी तो
प्रियतम के अधरों पर मुस्कान आएगी
उनकी आंखों में शरारत होगी
उनकी नज़रें जायज़ा ले रही होंगी
कि रंग सुन्दर है न
मुझ पर जँच रही है न
सलीके से...
वो होती है एक सुन्दर सपना
जिसे छूते वक़्त औरत सोचती है कि
फ़लाँ मौके पर पहनूँगी
और सोचती है .…..
कि जब इसे अपने बदन पर लपेटूंगी तो
प्रियतम के अधरों पर मुस्कान आएगी
उनकी आंखों में शरारत होगी
उनकी नज़रें जायज़ा ले रही होंगी
कि रंग सुन्दर है न
मुझ पर जँच रही है न
सलीके से...