...

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तुम बिन जीवन
जैसे तिलक बिन चंदन, वैसे श्रृंगार बिन दर्पन ।
जैसे मोर बिन मधुबन, वैसे प्रीत बिन समर्पन ।।

जैसे कमल बिन उपवन, वैसे मेघ बिन सावन ।
जैसे हृदय बिन धड़कन, वैसे तुम बिन जीवन । ।

© Nitin Singh