...

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बेटि हू..!!
बेटी हू..

मे बड़ी या छोटी नही मे तो बस
बेटी हू,
जो बेगुनाह होकर भी हर पाबंदी
सेहती हू ।

कभी वट वृक्ष की तरह अडग तो कभी
नदी सी बहेती हू,
मन मे ध मेल साफ सी बात मे सभी से
कहेती हू ।

जिंदगी मे अपने ,पराये की जंग मे
लोगो से पिसती हू ,
फिर भी जेसे कुछ हूवा ही न हो ऐसे
हसती हू ।

गमो की महेफिल मे अव्वल ही
रहेती हू ,
फिर भी हर वक़्त सीना ताने ही
खडी मिलती हू ।
🖤✨✍️Pragati
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