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।।मोरया।।
तुम ही हो रिद्धि सिद्धि के दाता,
हो तुम ही सबके भाग्यविधाता।।
माता पिता के दुलारे हो तुम,
जगत श्रृष्टि के प्यारे हो तुम।।
मोदक और लड्डू है उनको भाते,
बड़े प्रेम और आनंद से है वो खाते।।
है मुष्क की सवारी प्रिय उनको,
जग के परिक्रमा में लाए प्रथम तुमको।।
गजमुख सा है, मोहक शीश तुम्हारा,
सबसे प्रथम पूजे,आपको जग सारा।।
जो कोई भी भक्त करे पूजा तुम्हारी,
बप्पा तुम करे सारे विघ्न दुर हमारी।।
हो तुम बड़ों केे लिए गजानन तुम्हीं,
और हो बच्चो के लिए गणेशा ही तुम्हीं।।
आए साल में गणेश चतुर्थी जब भी,
बड़े ही हर्ष उल्हास से मनाए सभी।।
-प्रीतम क्षीरसागर 😊
© All Rights Reserved
हो तुम ही सबके भाग्यविधाता।।
माता पिता के दुलारे हो तुम,
जगत श्रृष्टि के प्यारे हो तुम।।
मोदक और लड्डू है उनको भाते,
बड़े प्रेम और आनंद से है वो खाते।।
है मुष्क की सवारी प्रिय उनको,
जग के परिक्रमा में लाए प्रथम तुमको।।
गजमुख सा है, मोहक शीश तुम्हारा,
सबसे प्रथम पूजे,आपको जग सारा।।
जो कोई भी भक्त करे पूजा तुम्हारी,
बप्पा तुम करे सारे विघ्न दुर हमारी।।
हो तुम बड़ों केे लिए गजानन तुम्हीं,
और हो बच्चो के लिए गणेशा ही तुम्हीं।।
आए साल में गणेश चतुर्थी जब भी,
बड़े ही हर्ष उल्हास से मनाए सभी।।
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