...

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अब मैंने अकेले रहना सीख लिया
मैने अकेले रहना सीख लिया
खुदसे ही सबकुछ कहना सिख लिया
जो मुझे सही लगा वो मैने किया
किया मैने सबकुछ ठीक किया।
रहता था खुदकी मस्ती मे में
एक लड़खड़ाती कस्ती मे में
नही होश था किसी का मुझे
वो नया नया जोश था केसे बतलाता तूझे
इस लड़खड़ाती कस्ती ने
उस दिन संभालना सिख लिया
जिस दिन से उसे इस निगाहों ने देख लिया
आई थी एक नई सी ऊर्जा मुझमें
जैसे मानो इस प्रकृति ने
हो फिर से खिलना सिख लिया
भर दिए थे उसने सारे जख्म
जिनसे था लड़ना मैने सिख लिया
उसकी मासूमियत ने मुझे
कुछ इस कदर था मदहोश किया
भूल बैठा था तबसे सबकुछ में तो
जबसे उसके गालों पर था डिंपल मेने देख लिया
उसका यूं मुस्कुराना,
कहते ही कहते खामोश सा हो जाना
मैने अपने खयालों में
कुछ इस कदर था कैद किया
जैसे मानो सावन के प्यासो को
हो काले बदलो ने घेर लिया
चल रहा था सबकुछ सही
फिर आया एक मोड़ कही
उसकी मासूमियत से था
कुछ इस कदर से पर्दा उठ गया
जेसे मानो एक सुनहरा ख्वाब
हो पल भर मे टूट गया
लग गईं थी सायद मेरी नजर मुझे ही
जैसे काले बदलो को हो बिजली ने
कुछ इस कदर था घेर लिया
संभलती हुई कस्ती को
एक बिजली ने था ढेर किया
हुए उस दिन इस दिल के टुकड़े कही
जिस दिन उसे किसी और के साथ
था मेने देख लिए ।
कुछ इस कदर मैने अकेले रहना सीख लिया
खुदसे ही सबकुछ कहना सिख लिया
जो मुझे सही लगा वो मैने किया
किया मैने सबकुछ ठीक किया।
करी थी मिन्नते, मांगी थी माफिया ,
लगाई थी गुहार उससे
पर उसने किनारा मुझसे
कुछ इस कदर किया
जैसे उसने मुझे किसी
ओर के साथ हो देख लिया।
टूटे दिल के टुकड़े संभाल मेने
अब अकेले चलना सीख लिया
यूं मैने अकेले रहना सीख लिया
खुदसे ही सबकुछ कहना सिख लिया
जो मुझे सही लगा वो मैने किया
किया मैने सबकुछ ठीक किया।
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