...

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अब मैंने अकेले रहना सीख लिया
मैने अकेले रहना सीख लिया
खुदसे ही सबकुछ कहना सिख लिया
जो मुझे सही लगा वो मैने किया
किया मैने सबकुछ ठीक किया।
रहता था खुदकी मस्ती मे में
एक लड़खड़ाती कस्ती मे में
नही होश था किसी का मुझे
वो नया नया जोश था केसे बतलाता तूझे
इस लड़खड़ाती कस्ती ने
उस दिन संभालना सिख लिया
जिस दिन से उसे इस निगाहों ने देख लिया
आई थी एक नई सी ऊर्जा मुझमें
जैसे मानो इस प्रकृति ने
हो फिर से खिलना सिख लिया
भर दिए थे उसने सारे जख्म
जिनसे था लड़ना मैने सिख लिया
उसकी मासूमियत ने मुझे
कुछ इस कदर था मदहोश किया
भूल बैठा था तबसे सबकुछ में तो
जबसे उसके गालों पर था डिंपल मेने देख लिया
उसका यूं मुस्कुराना,
कहते ही...