...

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आज़ादी खुद की
अब और नहीं खोना खुद को निजात चाहता हूं
दुःख भरी जीवन से कहीं ज़्यादा मौत चाहता हूं

होने से टुकड़ों में,समेटना ख़ुद को खुद ही चहता हूं
मौत आने तक बर्बाद ,खुद को करना चाहता हूं

सीने से लग कर उसके पैरों में गिड़गिड़ाने से बेहतर
खुशी खुशी मौत को खुद ही आवाज़ देना चाहता हूं

रोकर अकेले में ख़ुद के गमों को बांटना ख़ुद चाहता हूं
उम्मीद की किरण को दफ़न सीने में खुद ही चाहता हूं

भ्रम तोड़ तुम्हारा ख़ुद को भरम में रखना चाहता हूं
मौत से जुदा कौन ख़ुद ही मौत का होना चाहता हूं