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मातृभूमि की गौरव गाथा।
भारत हमारी मातृभूमि तू सबकी माँ है
कोटी कोटी तेरी संतान है तू कितने निराली है
भूल गये देशवासी तेरी यातना भरी गाथा को
तेरी गुलामी की जंजिरो से बंधी व्यथा को
कश्मीर से कन्याकुमारी तक तेरी संतानों की
आत्मबलिदान और करूण कहानी को।
नेहरू, गांधी , सुभाष सोये हुए को जगाए थे
भगत ,खुदिराम हँसते-हँसते फांसी चढ़े गयेथे
नाना, कुवंर, तिलक देश के लिए मर मिटे थे
लक्ष्मीबाई कम नहीं थी अंग्रेजो को भगाई थी
विरंगणाएं आगे बढ़ कर जान तो गवाई थी
इतनी वेदना पूर्ण माँ तेरी कहानी थी।
आज लोग मग्न है अपनी मनसा पूरी करने में
होड़ा होड़ी में सदा कोशिश आगे बढ़ने में
सच्चा देश भक्त की वेश धरे हैं दिखावा में
न जाने कितने लूट रहे हैं भक्ति की आड़ में
देश की शान को धकेल दिए हैं पानी में।
माँ आज जाग उठ फिर अपनी वैभव लेकर
भड़का दे अंतरात्मा में भक्ति की आग आकर
ताकि फिर से जाग उठे सोई हुई चेतना
कोई न कर सके देश भक्ति की अवमानना।
आत्मग्लानि की अश्रुधारा बहा दे आज
हर हाल में प्राण देकर भी बचाए देश की लाज
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