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हमारा गाँव ❤❤❤
बचपन था हमारा बड़ा निराला,
और गाँव हमारा सबसे प्यारा ।

पानी की एक बूंद गिरी जो तन पे,
सबके चेहरे खिल उठे फिर से ।

वो मिट्टी,किचड़ मे कूदना ,
और वो प्यारी कागज की नाव,
बड़ा याद आता है हमे हमारा गाँव ।

पैसो की भागदौड़ ने बदली जिन्दगी की डोर,
और हो गये हम अपने गाँव से दूर ।

दूर हुये हम एसे,
जेसे पत्ता बिखरा डाली से टूट के ।

ना कोई रिश्ता,ना कोई नाता,
कच्ची सड़को ने है सबसे रिस्ता जोड़ा ।

गुम हो गई वो चौपालो की भीड़,
बनिता जहाँ से भरने जाती थी नीर।

गुम हो गई वो सीताराम की धुन,
जिसकी धुन में सब थे गुम ।

गुम हो गई वो फक्कड़ जिन्दगी,
वो धूल, वो मिट्टी ।
और गुम हो गया वो गाँव का बचपन ।

बचपन था बड़ा निराला,
गाँव हमारा आज भी सबसे प्यारा ।
priyanka dwivedi..