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हम तन्हा ही अच्छे!
ये तुम्हारा होकर भी न होना , और न होकर भी होना
जैसी है सौगात तो हम तन्हा ही अच्छे !
लगे छोटी सी बात मगर, हैं पूरे जज्बात ,
जीवन में फिर क्या है पाना, और क्या है खोना !
जो पलो को लम्हों से जोडे,
कुछ ऐसी ही फरियाद हो तुम !
हैं सब यहाँ तन्हा मगर, फिर क्यों तन्हाईयां गवारा नहीं ,
साथ होकर भी फासले हैं मगर , हैं फासले गवारा नहीं !
हैं पुछते क्या साथ रहने से है इश्क,
या के दूरियो में भी सिमट जाते हैं फासले !
है क्या ये इश्क जो बन जाती है अधूरी ख्वाहिश कभी ,
या मिल जाए है मुकम्मल जहां कभी !
है क्या ये इश्क , कोई ना समझ पाए है कभी....
© Diल की पाti (Deepa Rani)🖋..