#मजबुरी
#मजबूरी
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
चाहे कह लो इसे मजबूरी है !!
श्रम नहीं मजदूरी है,
तुम जानो क्यों यह जरूरी है ;
नंगे बदन की यह खूबसूरती है,
चाहे पुछ लो ये क्यों जरूरी है ?
अभिमान...
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
चाहे कह लो इसे मजबूरी है !!
श्रम नहीं मजदूरी है,
तुम जानो क्यों यह जरूरी है ;
नंगे बदन की यह खूबसूरती है,
चाहे पुछ लो ये क्यों जरूरी है ?
अभिमान...