हर रोज नई सुबह होती है
हर रोज,
नई सुबह होती है,
हर रोज,
खुद से एक नई
ज़ंग शुरू होती है,
कभी जीतती हूँ,
कभी हारती हूँ,
कभी टूटती हूँ,
कभी बिखरती हूँ,
कभी लड़खड़ाती हूँ,
फिर संभलती हूँ,
हौसले की दिया
रोज...
नई सुबह होती है,
हर रोज,
खुद से एक नई
ज़ंग शुरू होती है,
कभी जीतती हूँ,
कभी हारती हूँ,
कभी टूटती हूँ,
कभी बिखरती हूँ,
कभी लड़खड़ाती हूँ,
फिर संभलती हूँ,
हौसले की दिया
रोज...