...

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चांद
आज फिर देखा है चांद को रात के साथ
जैसे तुम होते थे कभी हमारे साथ
यू बदलने का सफ़र जो कभी खत्म होता
तुम तुम बने रहते मैं मैं बना रहता
न होता दूर चांद रात से कभी
अपनी भी जीवन का अमावस न होता
न तुम कभी बदलते न हम बदले होते
चाँद रात के साथ और हम तुम्हारे साथ होते
© aryathepoet