...

9 views

ओ देखकर झुकने वाली नज़रे...
रज़ा क्या है? मजा क्या है?
गुनाह से पूछा की सजा क्या है?

फ़िराक हो जाए तो फिक्र होती है,
ये वफ़ा नहीं तो फिर वफ़ा क्या है?

सब थम जाता है जिन आखों में,
उन आखों से पूछा की थमा क्या है?

मैं शिफ़ा हूं इश्क से ये फरेब है,
ये नशा नहीं तो फिर नशा क्या है?

फिज़ा मोहब्बत का बसा है तुझमें,
अब तू ही बता मेरा फिज़ा क्या है?

छुपा है एक खता मुझमें,
पर पता नहीं वो खता क्या है?

ओ देखकर झुकने वाली नज़रे,
ये हया नहीं तो फिर हया क्या है?

© Rahul Raghav