...

8 views

संप्रेषण की पहली भाषा...!
लाखों वर्ष पूर्व से
चले आ रहे हिमयुग के
पुरापाषाण काल में
हमारे पूर्वज कपिमानवों ने
पहाड़ी इलाक़ों में रहते हुए
किस क़दर गुज़ारे होंगे
बर्फ़ीली आँधियों में
बेहद दुश्वार दिन और रात!
शून्य से भी न्यूनतम तापमान में
कैसे वो चलते होंगे
ग्लेशियर में धँसे हुए पाँवों से!
अपने अनगढ़-बेडौल
पाषाण उपकरणों की मदद से
बस...ज़िंदगी को घसीटते होंगे
मज़बूरियों के साये में!
और जब...
लगभग बत्तीस हजार साल पहले
हिमयुग के अंतिम दौर में
सूरज की रश्मियों ने
अपने सम्मोहन का ज़ादू
चलाया होगा वातावरण पर...
तब...
मौसम कितना ख़ुशगवार हो गया होगा...
हिम की चादर पिघलने लगी...