...

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तुम हो
मन की सब इच्छाएं वृथा सत्य एक तुम हो
नश्वर इस संसार में अमरत्व एक तुम हो
कण कण की आत्मा में विद्यमान प्रतिक्षण
उद्भव की क्रीड़ा, विनाश का तांडव प्रतिक्षण
अनंत कोटि साधन युत, अटल विधान तुम हो
मन की सब इच्छाएं वृथा सत्य एक तुम हो
दीर्घ हृदय की टीस,कभी जाती है क्या
बिना किसी चिंता के निद्रा आती है क्या
हास,परिहास, रुदन का क्रम विक्रम की बाधा
मेरे मेरा उसका सबका मूल प्रमाण तुम हो
मन की सब इच्छाएं वृथा सत्य एक तुम हो
जीवित इस संसार मे प्राण ज्योति प्रज्वलित
शून्य बोध कानन में ज्ञान बोध संकलित
कुछ यत्नों का भास रत्नाकर समान तुम हो
मन की सब इच्छाएं वृथा सत्य एक तुम हो
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