...

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असुरक्षित समाज असुरक्षित बेटियां

निभाती है वह फ़र्ज़ बेटी की
दिया करती है वह प्यारअपनों को
खड़े होकर पैरों पर अपने,रचती है वह भविष्य अपना
कंधे पर अपने, लादती है वह जिम्मेदारीयां
कमी लड़के की वह, महसूस नहीं होने देती माता-पिता को अपने
न ही कभी हटती है वह अपने कर्त्तव्यों से पीछे
नीले गगन पर उड़ाने वह भरती है
जिन्दगी जीने पर वह उतर आती है
पर काट दिये जाते है उसके पंख
चिकने चिल्लाने लगती है वह अचानक से
पता दूसरे दिन चलता है...