कुछ नहीं बहुत कुछ छिपा है
क्यों उन्हें सिर्फ सहना सिखाया जाता है
क्यों नहीं कुछ कहना नहीं सिखाया जाता
क्यों उन्हें सिर्फ झुकना सिखाया जाता है
क्यों उन्हें अधिकारों के लिए लड़ना नहीं सिखाया जाता
क्यों इस कदर पराया कर दिया जाता है
कि वो हा वो हमारी अपनी बेटियां हमारा पता मालूम होते हुए भी हमें खत नहीं लिख पाती
अपनी सच्चाई भाग्य की विडंबना, दुर्भाग्य नहीं लिख पाती
कभी दहेज़ के लिए ताने, मारपीट सहती रहती हैं
ससुराल में कांटो में नौकरी भी वेतन ही करती रहती हैं
कभी...
क्यों नहीं कुछ कहना नहीं सिखाया जाता
क्यों उन्हें सिर्फ झुकना सिखाया जाता है
क्यों उन्हें अधिकारों के लिए लड़ना नहीं सिखाया जाता
क्यों इस कदर पराया कर दिया जाता है
कि वो हा वो हमारी अपनी बेटियां हमारा पता मालूम होते हुए भी हमें खत नहीं लिख पाती
अपनी सच्चाई भाग्य की विडंबना, दुर्भाग्य नहीं लिख पाती
कभी दहेज़ के लिए ताने, मारपीट सहती रहती हैं
ससुराल में कांटो में नौकरी भी वेतन ही करती रहती हैं
कभी...