...

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हे बापू..... मैं भी उड़ना चाहती हूँ
हे बापू.....
मुझको भी पर लगा दे
मैं भी उड़ना चाहती हूँ
इन परिन्दों की तरह
नीले गगन को चूमना चाहती हूँ,

मैं तेरे बेटों से तो कम नहीं
चिंटी जैसी हुई तो क्या हुआ
सौ हाथियों को हराने का
दम रखती हूँ,

तू एक बार कह तो देख
बंद पिंज़रे को खोलकर तो देख
सबसे ऊंची उड़ान लगाऊंगी
तुझे भी अपने साथ सैर कराऊंगी
संग तुझको ये सारी...