अपनोसे हीं जख्म मिले जब डर कैसा बेगानों से
जाने कबसे भटक रहे हैं
शहर शहर अंजानोंसे
अपनोसे हीं जख्म मिले जब
डर कैसा बेगानों से
वाबस्ता सब छुट गये ...
शहर शहर अंजानोंसे
अपनोसे हीं जख्म मिले जब
डर कैसा बेगानों से
वाबस्ता सब छुट गये ...