अपने अस्तित्व को थोड़ी सी तो पहचान दे #acceptance
मृगतृष्णा को मारकर थोड़ा सा तो ज्ञान ले
अपने अस्तित्व को थोड़ी सी तो पहचान दे
जाल है यह रूप का
चित्र के स्वरूप का
मालिन जो मन है तेरा
दादुर है यह कूप का
दादुर नहीं है नभचर है तू अब ए मान ले
अपने अस्तित्व को थोड़ी सी तो पहचान दे
मूर्ख नहीं है तू बन रहा खाम खां
अपने स्वाभिमान को गिरा रहा है जहां तहां
प्रेम भी क्या प्रेम है बिन स्वाभिमान का
क्यों...
अपने अस्तित्व को थोड़ी सी तो पहचान दे
जाल है यह रूप का
चित्र के स्वरूप का
मालिन जो मन है तेरा
दादुर है यह कूप का
दादुर नहीं है नभचर है तू अब ए मान ले
अपने अस्तित्व को थोड़ी सी तो पहचान दे
मूर्ख नहीं है तू बन रहा खाम खां
अपने स्वाभिमान को गिरा रहा है जहां तहां
प्रेम भी क्या प्रेम है बिन स्वाभिमान का
क्यों...