तब और अब
पहले घर मे सोफा नहीं था
कुछ कुर्सियां थी
लोग जब मिलने आते थे
कुर्सियां कभी बरामदे से अंदर
तो,कभी अंदर से बरामदे
का सफर तय करती थीं
अब बरामदे में कुर्सियां है
और घर मे सोफा
मगर अब लोग नही आते हैं
कुछ कुर्सियां थी
लोग जब मिलने आते थे
कुर्सियां कभी बरामदे से अंदर
तो,कभी अंदर से बरामदे
का सफर तय करती थीं
अब बरामदे में कुर्सियां है
और घर मे सोफा
मगर अब लोग नही आते हैं