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गीत नही मै दर्द लिख रहा हूँ
गीत नही मै दर्द लिख रहा हूँ
तेरे खूबसूरत चेहरे को चाँद
खुद को टूटा हुआ तारा लिख रहा हूँ
रौशन चिरागों के दरम्यान
बुझी राख को वफा लिख रहा हूँ ।
गीत नही मै दर्द लिख रहा हूँ ...
तेरे आँसुओ को चमकते मोती
अपने लहू को पानी लिख रहा हूँ
तेरी राहों के वास्ते फूल सारे
अपनी किस्मत में काँटे लिख रहा हूँ ।
गीत नही मै दर्द लिख रहा हूँ ...
हर्ष को विषाद लिख रहा हूँ
जिन्दगी के हिसाब लिख रहा हूँ
कुछ तुम्हारा तो कुछ अपना
किये वादों की तारीख लिख रहा हूँ ।
गीत नही मै दर्द लिख रहा हूँ ...।
© Rakesh Kushwaha Rahi
तेरे खूबसूरत चेहरे को चाँद
खुद को टूटा हुआ तारा लिख रहा हूँ
रौशन चिरागों के दरम्यान
बुझी राख को वफा लिख रहा हूँ ।
गीत नही मै दर्द लिख रहा हूँ ...
तेरे आँसुओ को चमकते मोती
अपने लहू को पानी लिख रहा हूँ
तेरी राहों के वास्ते फूल सारे
अपनी किस्मत में काँटे लिख रहा हूँ ।
गीत नही मै दर्द लिख रहा हूँ ...
हर्ष को विषाद लिख रहा हूँ
जिन्दगी के हिसाब लिख रहा हूँ
कुछ तुम्हारा तो कुछ अपना
किये वादों की तारीख लिख रहा हूँ ।
गीत नही मै दर्द लिख रहा हूँ ...।
© Rakesh Kushwaha Rahi
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