...

70 views

बचपन
काग़ज़ की कश्ती थी पानी का किनारा था,
खेलने की मस्ती थी ये दिल भी आवारा था,
कहाँ आ गए इस समझदारो की दुनिया में,
वो बचपन ही कितना प्यारा था,
तब दिल नहीं सिर्फ खिलौने टूटा करते थे,
अब तो एक आंसू भी बर्दाश्त नहीं होता,
और बचपन में जी भरकर रोया करते थे ,
© vishnu