...

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मेरा अस्तित्व (रंग काला)!

साहिल हूं मैं उस दरिया का,
जहां आज भी उजाला नहीं होता।
मैं अंधकार हूं उस उजाले का,
जहां आज भी उजियारा नहीं होता।१

सम्राट मैं सब रंगो में,
चड़ता ना किसी का प्रकोप है।
कहते मुझे काला सभी,
चलता ना किसी का कोप है।२

गुलाब भी मैं और समुद्र भी मैं,
हर सवेरे के बाद मैं व्याप्त हूं।
कहते मुझे काला सभी,
मैं वो अंधकार हूं।।३

लौ की जलती बाती मैं,
मैं तो अमावस का चिराग हूं।
डरते हैं मुझसे सभी,
मैं वो अंधकार हूं।४

वीरान भूमि का...