ग़ैरतों के मसअले थे
ग़ैरतों के मसअले थे
ख़्वाब हम पर हँस रहे थे
जब्र ये था संग था वो
और हम तो आइने थे
इश्क़ ही तो ज़िंदगी है...
ख़्वाब हम पर हँस रहे थे
जब्र ये था संग था वो
और हम तो आइने थे
इश्क़ ही तो ज़िंदगी है...