...

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ऊंचा तेरा भवन है ।
मंज़िल जरूर मिलेगी, चलना तो तू शुरू कर
ऊंचा तेरा बसेरा, चढ़ना तो तू शुरू कर ।

वो चाहतों के किस्से, ग्रंथों में भी है मिलते,
फुटें करम हो जिसके, बाग उनके नहीं है खिलते ।
©®@Devideep3612
ये 'मील' के है पत्थर, मंजिल नहीं है तेरी,
तु रुक यहीं न जाना, गुजारिश ये है मेरी ।

मंज़िल को ताके रहना, लेकर उम्मीद अपनी,
तु दूर का है राही, चल भर उड़ान अपनी ।
©®@Devideep3612
सपनों से उस शहर में, ऊंचा तेरा भवन है,
तु सिना ताने चलना, हुआ पूर्ण तेरा हवन है ।

बांहे पसार देखो, करें इंतजार तेरा,
ये मंज़िल है जो तेरी, सारा सुयश है तेरा ।
© ©®Devideep3612