...

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ओ मेरे मन
ओ मेरे अभिलाषी मन तू
ओ मेरे बेदर्दी मन,
क्यो तू इतना रोता है
पा कर भी क्यों सब तु
फिर भी दुखी होता है।
ओ मेरे मन बता तू क्या मुझसे
चाहता है।
ओ मेरे बेबस मन तू क्यों
हर पल विलापो में ही रहता है,
ओ मेरे मन बता क्यों मुझे
तू
इतने कष्ट देता है
ओ मेरे कठोर मन
क्य़ो तू चुप बैठा है,
बोल तो सही कुछ
शब्दों को निकाल तो
सही।

ओ मेरे मन क्यों तू मूझे
जागने पे तूला है
सोने दे मुझे तू कुछ पल
ओ मेरे मन क्यों तू मूझे मेरे सपनो में भी रूलता है।