...

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फिरोजी साड़ी
यूं तो हर कपड़ा तुम पर जचता है
मगर साड़ी तुम पर कुछ अलग ही फबता है...
हर एक रंग में तुम बहुत प्यारी दिखती हो
पहन के आओ जब फिरोजी तो हमारी दिखती हो...
कितनी भी पहनो तुम सोने की महंगी बालियां
कहर तो ढाती है वो मेले से खरीदी सस्ती झुमकियां...
हाथों में घड़ी तो पहनता ये सारा जमाना है
यहां तुम्हारे हाथों की चूड़ियों का बैठा दीवाना है...
सुरमा दिखे सबको रंग हो जैसे अंधकार का
तुम्हारी आंखों में सजे तो लगे रंग मेरे प्यार का...
लोगों को तो होती है उर्वशी मेनका जैसों की अभिलाषा
मेरे लिए तो फिरोजी साड़ी में तुम ही हो सुंदरता की परिभाषा....
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