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पुनर्जन्म
#फ़ीनिक्सपुनर्जन्म
पुनर्जन्म की बात गर, रहती होती याद।
तय जग में होता खरा, पग पग पर वाद।।
एक इंसानी जिंदगी, अनेकों अधिकार।
बंटवारे के बीच में, मिट जाता संसार।।
विकट अनोखी स्थिति, नही होता परिवार।
कोटि कोटि के बीच में,जेसे एक अनार।।
कलह वाद विवाद या नेह प्रेम या प्यार।
सिमट ही जाति सभ्यता,होता कष्ट अपार।।
जगत पिता ने इस लिए, भूला दी सब याद।
नव जीवन के साथ में, सृजित नव संवाद।।

© ओमप्रकाश लटियाल