...

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पन्ना ।
#इंतज़ार

पहलू सी उलझी वह समय के पन्ने ,
नजाने कब से तेरी इंतज़ार है।
तेरी खुशबु से महकती हर रोज है,
तेरी मिलने की ख्वाब से अब बेचैनी है।
तेरी खिलती- खिलखिलाती चेहरे-
नजाने कब से देखने की तमन्ना है।
तुझसे मिलके तेरी हो जानी है ।
मुश्किल है मगर- नामुमकिन नहीं ।
तुझसे मिलने की कोशिशे ज़ारी है ।

तेरे से ही अस्तित्व जूरी है - पूरी है ।
नजाने कब जो तुझसे मुलाकात होगी !
अब तो हर साँस से तेरी पुकार जारी है ।
तेरी इंतज़ार ज़ारी है ।



© _silent_vocal_

@Writco