एक सच
#मजबूरी
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
अनगिनत कहानियाँ अधूरी हैं|
राह बिके जो जिल्लत हैं,
जो खरीद लें वो आदमी बड़ा,
यूं बिकते जिस्म देख कर,
क्यों है तु चुप खड़ा|
किसी ने तो भरोसा किया था,
किसी ने...
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
अनगिनत कहानियाँ अधूरी हैं|
राह बिके जो जिल्लत हैं,
जो खरीद लें वो आदमी बड़ा,
यूं बिकते जिस्म देख कर,
क्यों है तु चुप खड़ा|
किसी ने तो भरोसा किया था,
किसी ने...