...

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कोई मुझको यूं मिला है....
हां…
किसी शायर की ग़ज़ल
जो दे रूह को सुकून के
पल कोई मुझको यूँ मिला है
जैसे बंजारे को घर,
मैं मौसम की सेहर या सर्द में दोपहर,
कोई मुझको यूँ मिला है
जैसे बंजारे को घर..