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अकेलापन....
इन दिनों मन व्याकुल सा रहता है सोती हूं जागती हूं फिर वही खाना पीना सोना जागना ! और वही रोज वाला ''routine'' आजकल रातों में सो जाना ज्यादा आसान मालूम होता है जागकर घंटों सोचने के बजाय..
कुछ भयावह सपने देखती हूं मेरे पसंदीदा लोगों के छूट जाने के जीवन के सबसे हसीन पलों के तबाह हो जाने के खैर अब तो अकेले ही सुकून आता है क्योंकि कोई और मेरी सोच के दायरे में फिट बैठता ही नहीं कुछ सालों पहले जो लोग मेरा सुकून हुआ करते थे अब वही सिरदर्द कर जाते हैं!
और मैं उन्हें कभी बता ही नहीं पाई कि मेरी जिंदगी में कुछ तो अधूरा है जो पूरा नहीं है, कैसे गुजरती है मेरी हर एक शाम तुम्हारे बगैर, अगर तुम समझ लेते तो कभी तन्हा न छोड़ते मुझे !,
ऐसा नहीं है कि मैं खुश नहीं हूं मेरी खुशी का कारण हैं मेरे दोस्त, जो मेरे बिना कहे खामोशी की वजह को भी समझ लेते हैं! अगर आपके पास कोई सबसे अच्छा वाला दोस्त है तो यकीन मानो आपको जिंदगी में कभी डिप्रेशन नाम की चीज छू भी नहीं सकती;
पहले थोड़ा डर भी लगता था, fB पर तस्वीरें अपलोड करने में फिर किसी से प्रेरणा मिली और अब बिना हिचकिचाये तस्वीरें पोस्ट कर देती हूं सोचती हूं कि जब दुनिया वाले हमारी तकलीफ़ में हमारा साथ देने नहीं आ सकते तो हम पर उंगली उठाने क्यों आते हैं? सच बताऊं तो मुझे अभी पता भी नहीं कि मैं कहना क्या चाहती हूं बस इतना पता है कि मैं वो नहीं बन पा रही हूं जो मैं हूं और जो मैं होना चाहती हूं, यह फीलिंग घुटन पैदा करती है बस एक सुकून है, कि निशा.. तुम्हारा साथ मिला वरना में कबकी खो गई होती...;
पता है कई बार कई लोगों ने कहा भी है मुझसे कि तुम इतना मुस्कुराती क्यों हो? कहते हैं कि जो लोग अंदर से बहुत ज्यादा खालीपन और उदासी महसूस करते हैं वही मुस्कुराते और हंसते ज्यादा हैं पहले तो मैं उनकी इस थ्योरी को नहीं मानती थी हालांकि अब भी नहीं मानती हूं क्योंकि अब मैं हंसने मुस्कुराने की जगह शांत रहने लगी हूं लोगों से शिकायतें कम हो गई है और उनको समझाना छोड़ दिया है, एक ही बात बार-बार समझा कर थक गई हूं अब अपनी ख़ुद की शिकायतें पर ज्यादा काम करने लगी हूं,
मुझे लगता है कि लोग आप से प्रेम नहीं करते वो कुछ पलों का प्रेम करते हैं जो उन्हें हमसे होता है, साथ छूट जाने का डर अब सच हो गया है और अब मैं इसीलिए खुद से ज्यादा मिलने की कोशिशें करने लगी हूं!

मैं तुमसे सरलता से कभी नहीं कह पाई कि मुझे प्रेम है तुमसे,
इसके उपरांत मैंने सदैव कहा कि तुम ज़रूरी हो मेरे लिए,,

कभी-कभी तुम मेरी बातों को अनसुना कर मुझे अकेले छोड़ दिया करते हो... और कभी-कभी मैं तुम्हारी चुप्पी में छुपी आवाज़ को
सुनकर भी तुमसे कुछ नहीं पूछती..
पता है हमारा रिश्ता वक्त के साथ मज़बूत हुआ है मगर साथ !! कमजोर बहुत कमजोर ....तुम्हें पता है तुम मेरे जेहन में हर वक्त रहते हो, बस ये बात मैं तुम्हें वक्त रहते कभी समझा नहीं पाती!' सुनो अपना ख़्याल रखना..,
सब्र करो आखिर में सब अच्छा होगा ये न जाने कितने लोगों से सुना है कभी-कभी "सब्र" हमारी जिंदगी का हिस्सा बन जाता है !
part of my life..
~P.s