आज वो गुमनाम हो गएं हैं
कभी अख़बार की सुर्ख़ियों में होते थे जो, आज वो गुमनाम हो गएं हैं,
शर्म आती है महफ़िलों में जाने की उनको, इस क़दर बदनाम हो गएं हैं।
न जाने ऐसा क्या गुल खिलाया है कि सबकी नज़रों में गिर गए,
कल तक जो ख़ास थे...
शर्म आती है महफ़िलों में जाने की उनको, इस क़दर बदनाम हो गएं हैं।
न जाने ऐसा क्या गुल खिलाया है कि सबकी नज़रों में गिर गए,
कल तक जो ख़ास थे...