...

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उनकी अदाओं के आगे
उनकी अदाओं के आगे, बेबस हालात से हैं,
दूर तलक तन्हाई, और वो बेहद पास से हैं।

महसूस करता है दिल, उनकी बहकी साँसें,
याद नहीं उनको हम, जिनका एहसास है।

ये परदा तेरा झीना सा, क्या रोकेगा निगाह,
नयन कातर से तेरे, कितना उनमें उजास है।

महका आलम, महकी तुम, महके जज़्बात,
महक तुम्हारी साँसों की, साँसों में खास है।© विवेक पाठक