...

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अकेलापन
अकेलापन,,,अकेलापन तब बन जाता है "
जब भीड़ में भी, हमे कोई साथ नज़र ना आता है...
हर पल अकेलापन हमे सताता है,
अपनो का साथ ना जब मिल पाता है,,,,,!!!

कहने को तो सभी यहाँ अकेले है "
कहाँ कोई अपनो के साथ पूरी जिंदगी रह पाता है...
मन जब उदास हो जाता हैं, अकेलापन ,
उसी दिन  से पनपना शुरू हो जाता हैं,,,,,,!!!

जब कभी भी  हमारे भीतर "
नकारात्मक विचारों का तूफ़ान उठ जाता है...
चारों ओर अकेलापन ही नज़र आता है,
कुछ ऐसे हमारा मन दगा कर जाता है,,,,,!!!

अकेलापन जब ज्यादा बढ़ जाता हैं "
मानसिक बीमारियों से यह ग्रस्त कर जाता है.....
हर पल फिर व्यक्ति दूसरों के साथ-साथ,
खुद को भी मन की गहरी चोट पहुँचाता है,,,,,,,!!!

क्यों अकेलेपन से कोई सबक ना ले पाता है "
अकेलापन खुद चलकर तो ना आता है....
मै अकेला हूँ, इंसान खुद ही तो मन को समझाता है,
अकेलेपन के दौर में इंसान खुद को ही भूल जाता है,,,!!!


© Himanshu Singh